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Телеграм канал «GK BY Rakesh & Harish 📝📖✍📖✌️»

GK BY Rakesh & Harish 📝📖✍📖✌️
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Показано 7 из 2143 постов
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Пост от 22.12.2025 04:21
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मेहनत के बल पर सफलता एक दिन जरूर आपके कदम चूमेगी...📖📖✌️✌️
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Пост от 21.12.2025 18:49
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महत्वपूर्ण करंट अफेयर्स 21 दिसंबर 2025.pdf
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Пост от 21.12.2025 14:14
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गागरोण दुर्ग(झालावाड़) इस दुर्ग का निर्माण 12वीं शताब्दी में डोड राजा बीजलदेव ने करवाया था। https://t.me/RKS54Hks
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Пост от 21.12.2025 14:09
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राजस्थान के प्रजामण्डल एवं उनके संस्थापक और वर्ष ▪️जयपुर प्रजामण्डल - कर्पूरचंद्र पाटनी - 1931 ▪️बूंदी प्रजामण्डल - कांतिकाल चोमनी - 1931 ▪️हाड़ौती - पंडित नयूनराम शर्मा - 1934 ▪️मारवाड़ - जयनारायण व्यास - 1934 ▪️बीकानेर प्रजामण्डल - मेघाराम वैध - 1936 ▪️मेवाड़ प्रजामण्डल - माणिक्य लाल वर्मा - 1938 ▪️अलवर प्रजामण्डल - हरिनारायण शर्मा 1938 ▪️भरतपुर प्रजामण्डल - किशनलाल जोशी - 1938 ▪️शाहपुरा प्रजामण्डल - रमेशचंद्र ओझा - 1938 ▪️धौलपुर प्रजामण्डल - ज्वाला प्रसाद -1938 ▪️करौली प्रजामण्डल - त्रिलोकचंद माथुर - 1938 ▪️सिरोही प्रजामण्डल - गोकुलभाई भट्ट - 1939 ▪️कोटा प्रजामण्डल - नयूनराम शर्मा -1939 ▪️किशनगढ़ प्रजामण्डल - कांतिलाल चोमनी - 1939 ▪️कुशलगढ़ प्रजामण्डल - भंवारलाल निगम - 1942 ▪️डूंगरपुर प्रजामण्डल - भोगीलाल पंड्या - 1944 ▪️बांसवाड़ा प्रजामण्डल - भूपेंद्रनाथ त्रिवेदी - 1943 ▪️जैसलमेर प्रजामण्डल - मीठालाल व्यास - 1945 ▪️प्रतापगढ़ प्रजामण्डल - अमृतलाल पाठक - 1945 ▪️झालावाड़ प्रजामण्डल - मांगीलाल भव्य - 1945 https://t.me/RKS54Hks
Пост от 21.12.2025 14:08
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मेवात क्षेत्र विकास कार्यक्रम https://t.me/RKS54Hks
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Пост от 21.12.2025 06:32
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आहड़ सभ्यता (Ahar Civilization) ​आहड़ सभ्यता राजस्थान की एक अत्यंत महत्वपूर्ण और समृद्ध ताम्रपाषाण कालीन (Chalcolithic) ग्रामीण संस्कृति है। यह सभ्यता दक्षिण-पूर्वी राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र में विकसित हुई थी। ​1. सामान्य परिचय ​स्थान: उदयपुर जिले में आयड़ (बेड़च) नदी के किनारे। ​खोजकर्ता: अक्षय कीर्ति व्यास (1953)। ​उत्खनन: रतन चन्द्र अग्रवाल (1956) और बाद में एच.डी. सांकलिया (1961-62) के नेतृत्व में। ​प्राचीन नाम: ताम्रवती नगरी (ताँबे के औजारों की प्रचुरता के कारण)। ​स्थानीय नाम: धूलकोट (रेत का टीला)। ​साहित्यिक नाम: आघाटपुर। ​2. कालक्रम (Timeline) ​विभिन्न इतिहासकारों और रेडियो कार्बन डेटिंग (C^{14}) पद्धति के अनुसार, इस सभ्यता का समय 2000 ई.पू. से 1200 ई.पू. के मध्य माना जाता है। यह सिंधु घाटी सभ्यता के समकालीन और उसके बाद भी अस्तित्व में रही। ​3. प्रमुख विशेषताएँ ​क. आवास निर्माण ​यहाँ के लोग पत्थरों और धूप में सुखाई गई मिट्टी की ईंटों से घर बनाते थे। ​घरों की नींव में स्फटिक पत्थरों का प्रयोग किया जाता था। ​एक घर में कई चूल्हे मिले हैं, जो संयुक्त परिवार प्रणाली की ओर संकेत करते हैं। ​ख. मृदभांड (Pottery) ​आहड़ के लोग 'लाल और काले' (Red and Black Ware) मृदभांडों का प्रयोग करते थे। ​इन बर्तनों को "उल्टी तपाइ" (Reverse Firing) विधि से पकाया जाता था। ​अनाज रखने के बड़े मृदभांड मिले हैं जिन्हें स्थानीय भाषा में 'गोरे' या 'कोट' कहा जाता है। ​ग. अर्थव्यवस्था एवं व्यवसाय ​कृषि: यहाँ के लोग गेहूँ, जौ और चावल की खेती करते थे। ​पशुपालन: गाय, बैल, भेड़ और बकरी पालन मुख्य व्यवसाय था। ​धातु कर्म: ताँबा गलाना यहाँ का मुख्य उद्योग था। उत्खनन में ताँबा गलाने की भट्टियाँ और ताँबे की कुल्हाड़ियाँ मिली हैं। ​घ. धार्मिक एवं सांस्कृतिक जीवन ​मिट्टी से बनी बैल की आकृति मिली है जिसे 'बनासियन बुल' (Banasian Bull) कहा गया है। ​यहाँ से बिना हत्थे के जलपात्र मिले हैं, जो ईरान और पश्चिमी एशिया की सभ्यताओं से संबंधों को दर्शाते हैं। ​एक मुहर मिली है जिस पर यूनानी देवता 'अपोलो' का चित्र और तीर-तरकश अंकित है। ​4. प्रमुख अवशेष ​ताँबे की 6 मुद्राएँ और 3 मुहरें। ​सिल-बट्टा और चक्की के अवशेष। ​नाप-तौल के बाट। ​टेराकोटा की मूर्तियाँ। ​5. पतन के कारण ​इतिहासकारों का मानना है कि आयड़ नदी के मार्ग परिवर्तन या अत्यधिक बाढ़ के कारण यह सभ्यता नष्ट हुई होगी। ​निष्कर्ष: आहड़ सभ्यता न केवल राजस्थान बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप की ताम्रयुगीन संस्कृतियों में अपनी विशिष्ट पहचान रखती है। यह ग्रामीण कृषि और धातु विज्ञान के समन्वय का बेहतरीन उदाहरण है।
Пост от 21.12.2025 06:16
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अरावली पर्वतमाला *भारत की सबसे प्राचीन पर्वतमालाओं* में से एक है। इसका विस्तार इस प्रकार है— *उद्गम (आरंभ*): गुजरात के पालनपुर (पालनपुर/पालनपुर के पास) *अंत:* दिल्ली तक कुल लंबाई: लगभग 800 किमी *राज्यों के अनुसार विस्तार:* 1. गुजरात 2. राजस्थान (सबसे अधिक भाग) 3. हरियाणा 4. दिल्ली (दिल्ली रिज) राजस्थान में प्रमुख जिले जहाँ अरावली फैली है। *सिरोही → उदयपुर → राजसमंद → भीलवाड़ा → अजमेर → जयपुर → अलवर* *महत्वपूर्ण तथ्य:* • अरावली *उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम दिशा* में फैली है। • इसका सबसे ऊंचा *शिखर गुरु शिखर (1722 मीटर)* है, जो माउंट आबू (राजस्थान) में स्थित है। *• यह मरुस्थल के प्रसार को रोकने में सहायक है* और राजस्थान की जलवायु पर प्रभाव डालती है। https://t.me/RKS54Hks
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