♦️राव मालदेव जोधपुर (मारवाड़) के सबसे शक्तिशाली शासकों में से एक माने जाते हैं। नीचे उनकी जीवन, कार्य, युद्ध, तथा योगदान से संबंधित विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई है:
✍राव मालदेव (1532 – 1562 ई.)
▪️प्रारंभिक जीवन
• राव मालदेव, राव गंगा के पुत्र थे।
• 1532 ई. में उन्होंने जोधपुर (मारवाड़) की गद्दी संभाली।
• उन्हें मारवाड़ का सबसे योग्य और पराक्रमी शासक माना जाता है।
▪️शासनकाल और विस्तार नीति
• राव मालदेव ने मारवाड़ की सीमाओं का विस्तार कर इसे राजस्थान का सबसे बड़ा राज्य बना दिया।
• उनके समय में राज्य का विस्तार जैसलमेर से अजमेर और नागौर से जालौर तक हुआ।
• उन्हें “द्वितीय राणा सांगा” भी कहा जाता है।
▪️महत्वपूर्ण युद्ध
▫️ कनोज का युद्ध (1544 ई.)
• यह युद्ध राव मालदेव और शेरशाह सूरी के बीच हुआ।
• प्रारंभ में शेरशाह सूरी ने कहा था:
“यदि सूरी के भाग्य का साथ न होता तो हिंदुस्तान पर मालदेव का राज्य होता।”
• मालदेव की सेना की संख्या लगभग 80,000 घुड़सवार बताई जाती है।
• युद्ध के दौरान उनके सेनापति जैता व कन्हा ने विश्वासघात किया।
• परिणामस्वरूप राव मालदेव को पराजय मिली और उन्हें पीछे हटना पड़ा।
▫️बीकानेर और जैसलमेर के साथ संघर्ष
• मालदेव ने इन शासकों को भी परास्त कर मारवाड़ में अपनी शक्ति स्थापित की।
▪️विशेष योगदान
• मालदेव को राजस्थान का सबसे बड़ा सामंत शक्तिशाली शासक माना जाता है।
• उनके समय में मारवाड़ की सेना को “राजपूताना की सबसे बड़ी सेना” कहा गया।
• उन्होंने मेहरानगढ़ किले का विस्तार करवाया।
• प्रशासन में सामंतों को साथ लेकर शासन किया।
▪️उपाधि एवं महत्व
• राव मालदेव को इतिहासकारों ने
“मारवाड़ का शेर”
“राजस्थान का सर्वश्रेष्ठ शासक”
कहा है।
• उनकी वीरता का उल्लेख अबुल फ़ज़ल, फ़रीद व अन्य फारसी इतिहासकारों ने भी किया।
▪️निधन
• राव मालदेव का निधन 1562 ई. में हुआ।
• उनकी मृत्यु के बाद मारवाड़ की शक्ति कमजोर हो गई।
✅ सार:
राव मालदेव एक वीर, सामर्थ्यवान एवं महत्वाकांक्षी शासक थे। शेरशाह सूरी जैसे महान शासक ने भी उनकी शक्ति को स्वीकार किया। वे मारवाड़ को राजस्थान का सबसे बड़ा राज्य बनाने में सफल रहे।
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