चराग़ होके न हो दिल जलाके रखते हैं
हम आँधियों में भी तेवर बला के रखते हैं
मिला दिया है पसीना भले ही मिट्टी में
हम अपनी आँख का पानी बचाके रखते हैं
बस एक ख़ुद से ही अपनी नहीं बनी वर्ना
ज़माने भर से हमेशा निभा के रखते हैं
हमें पसंद नहीं जंग में भी चालाकी
जिसे निशाने पे रखते बताके रखते हैं
कहीं ख़ुलूस कहीं दोस्ती कहीं पे वफ़ा
बड़े क़रीने से घर को सजाके रखते हैं